श्रीमद्भागवत -३१९; कलियुग के राजवंशों का वर्णन
श्रीमद्भागवत -३१९; कलियुग के राजवंशों का वर्णन


श्रीमद्भागवत -३१९; कलियुग के राजवंशों का वर्णन
राजा परीक्षित ने पूछा, भगवन
पधारे कृष्ण जब धाम को अपने
तब पृथ्वी पर किस वंश का राज हुआ
तथा अब किसका राज्य होगा आगे ।
श्री शुकदेव जी कहते हैं, परीक्षित
जरासंध के पिता बृहद्रथ के वंश में
अंतिम राजा होंगे पुरंजय
शुनक नाम मंत्री का उनके ।
वो अपने स्वामी को मारकर
राजा बनाएगा पुत्र प्रघोत को अपने
प्रघोत का पुत्र पालक होगा
विशाखयूप पुत्र पालक के ।
विशाखयूप का राजक, राजक का नंदीवर्धन
ये पाँच नरपति प्रघोत वंश के
इनकी संज्ञा होगी प्रघोतन
एक सौ अड़तीस वर्ष तक पृथ्वी भोगेंगे वे ।
शिशुनाग नाम का राजा होगा फिर
काकवर्ण पुत्र होगा उसका
उसका क्षेमधर्मा, उसका क्षेत्रज्ञ
क्षेत्रज्ञ का निधिसार, और अजातशत्रु उसका ।
फिर दर्भक होगा और उसके
पुत्र का नाम अजय होगा
अजय का नन्दीवर्धन , उसका महानन्दी
शिशुनाग वंश के होंगे दस राजा ।
ये सब मिलकर कलियुग में
तीन सौ साठ वर्षों तक राज्य करेंगे
महानन्दी की शुद्रा नाम की पत्नी
पुत्र होगा नंद नाम का उसके ।
बड़ा बलवान वाला होगा नंद ये
नंदी को महामद्य भी कहेंगे
महामद्य नाम निधि के
क्योंकि ये अधिपति होंगे ।
क्षत्रिय राजाओं के विनाश का
कारण बनेगा नन्दी ये
तभी से राजालोक प्राय
शूद्र और अधार्मिक हो जाएँगे ।
एकछत्र शासक पृथ्वी का
महामद्य होगा और उसकी
आज्ञा का उल्लंघन उसके
ना कर सकेगा कोई भी ।
क्षत्रियों के विनाश का हेतु होने से
समझा जाएगा परशुराम दूसरा वो
सुमाल्य आदि आठ पुत्र होंगे उसके
सभी के सभी राजा होंगे वो ।
वो सारे सौ वर्ष तक
पृथ्वी का उपभोग करेंगे
नाश करेंगे नंद और उसके पुत्रों का
एक ब्राह्मण चाणक्य नाम के ।
उनका नाश हो जाने पर फिर
मौर्यवंशी नरपति आयेंगे
चाणक्य नाम के वही ब्राह्मण
चन्द्रगुप्त को राजा बनायेंगे ।
चन्द्रगुप्त का पुत्र वारिसार
अशोकवर्धन होगा पुत्र उनका
उसका सुयश , सुयश का सगत
उसका शालीशूक, सोमशर्मा उसका ।
सोमशर्मा का शत्धवना और
शत्धवना का पुत्र बृहद्रथ होगा
मौर्यवंश के ये दस नरपति उपभोग करेंगे
एक सौ सैंतीस वर्ष पृथ्वी का ।
बृहद्रथ का सेनापति पुण्यमित्र होगा
राजा बनेगा स्वामी को मारकर
पुण्यमित्र का अग्निमित्र , उसका सुज्येष्ठ
उसका वसुमित्र, वसुमित्र का भद्रक ।
भद्रक का पुलिंद , उसका घोष और
पुत्र होगा व्रजमित्र घोष का
ब्रजमित्र का भागवत पुत्र होगा
और देवभूति पुत्र उसका ।
शुंगवंश के ये दस नरपति
राज करेंगे एक सौ बारह वर्ष तक
राज्यकाल समाप्त होने पर उनके
कण्ववंशी नरपति आयेंगे तब ।
कम गुणवान होंगे कण्ववंशी
और उनका अंतिम नरपति
देवभूति बड़ा लंपट होगा
मारेगा उसे मंत्री वासुदेव ही ।
कण्ववंशी वासुदेव राज करेगा तब
उसका पुत्र भूमित्र होगा
भूमित्र का नारायण , उसका सुशर्मा
यशस्वी होगा सुशर्मा बड़ा ।
कण्ववंश के ये
चार नरपति
काण्वायन कहलायेंगे ये
तीन सौ पैंतीस वर्ष तक
पृथ्वी पर ये राज करेंगे ।
कण्ववंशी सुशर्मा का सेवक
शूद्र होगा एक बलि नाम का
आंध्रजाति का एवं बड़ा दुष्ट वो
सुशर्मा को मारकर राज करेगा ।
उसके बाद उसका भाई
राजा होगा कृष्ण नाम का
चार सौ छप्पन वर्ष तक राज करेंगे
इस वंश के कुल तीस राजा ।
अवभूति नगरी के सात आभीर
दस गर्दवीऔर सोलह कंक सभी
इनके पश्चात् पृथ्वी भोगेंगे
सबके सब होंगे बड़े लोभी ।
उसके बाद आठ यवन और
चौदह तुर्क राज्य करेंगे
दस गरुण्ड और ग्यारह मौन
उसके बाद राजा वो होंगे ।
एक हज़ार निन्यानवें वर्ष तक
राज करेंगे ये अतिरिक्त मौनों के
तथा ग्यारह मौन नरपति
तीन सौ वर्ष तक शासन करेंगे ।
उनका राज्यकाल समाप्त होने पर
किलकिला नाम की नगरी में
भूतनंद नाम का राजा होगा
वंगिरी होंगे पुत्र इसके ।
वंगिरी, उसका भाई शिशुनंदी तथा
यशोनंदी और प्रवीरक ये
एक सौ छ वर्ष तक
पृथ्वी पर राज्य करेंगे ।
तेरह पुत्र होंगे इनके और
बाहलिक कहलायेंगे सब वे
पुण्यमित्र नामक क्षत्रिय और पुत्र
दुमित्र राज्य करें उसके बाद में ।
बाहलिक वंशी एक साथ ये
विभिन्न प्रदेशों पर राज्य करेंगे
उनमें से सात आंध्रदेश के तथा
सात अधिपति होंगे कोसलदेश के ।
कुछ विदुरभूमि के शासक और
कुछ स्वामी होंगे निषध देश के
इसके बाद विश्वस्फूर्ति
राजा होंगे मगध देश के ।
द्वितीय पुरंजन कहलायेगा ये
यह ब्राह्मणादि उच्च वर्णों को
पुलिंद, यदु और भद्र आदि जातियों के
रूप में परिणीत करेगा उनको ।
बड़ी दुष्ट बुद्धि होगी इसकी
रक्षा करेगा शूद्रप्राय जनता की
नाश करेगा ये ब्राह्मण तथा
क्षत्रिय और वैश्यों काभी ।
उजाड़ देगा क्षत्रियों को ये
राजधानी बनाकर पद्मवतीपुरी को
हरिद्वार से लेकर प्रयागपर्यंत
पृथ्वी का राज्य करेगा वो
।
ज्यों ज्यों घोर कलियुग आएगा
संस्कारशून्य हो जाएँगे ब्राह्मणगण सभी
द्विजों , म्लेच्छों का राज्य होगा
शूद्रतुल्य होंगे राजा लोक भी ।
भिन्न भिन्न प्रदेशों का राज्य करेंगे
परले सिरे के झूठे होंगे वे
छोटी छोटी बातों को लेकर
ग़ुस्सा करेंगे क्रोध के मारे ।
स्त्री, बच्चों, ग़ोओं, ब्राह्मणों को
मारने से भी नहीं हिचकिचायेंगे
स्त्री और धन हथिया लेने को
सदा वे सब उत्सुक रहेंगे ।
ना तो बढ़ते देर लगेगी इनको
और घटेंगे भी जल्दी से
क्षण में रुष्ट और क्षण में तुष्ट वे
इनकी शक्ति और आयु छोटी होगी ।
परंपरागत संस्कार ना उनमें
पालन ना करें कर्तव्य। का
रजोगुण, तमोगुण में। रहेंगे बने
व्यवहार करेंगे वो म्लेच्छों सा ।
खून चूसेंगे अपनी प्रजा का
प्रजा का स्वभाव भी होगा वैसा ही
स्वभाव, आचरण और बुद्धि उनकी
अपने राजा जैसी ही होगी ।
राजा तो शोषण करेंगे ही प्रजा का
एक दूसरे का वे आपस में भी
उत्पीड़न करेंगे और अंत में
अपने से नष्ट हो जाएँगे सभी ।