STORYMIRROR

Ajay Singla

Classics

4  

Ajay Singla

Classics

श्रीमद्भागवत -३१९; कलियुग के राजवंशों का वर्णन

श्रीमद्भागवत -३१९; कलियुग के राजवंशों का वर्णन

4 mins
407


श्रीमद्भागवत -३१९; कलियुग के राजवंशों का वर्णन


राजा परीक्षित ने पूछा, भगवन

पधारे कृष्ण जब धाम को अपने

तब पृथ्वी पर किस वंश का राज हुआ

तथा अब किसका राज्य होगा आगे ।


श्री शुकदेव जी कहते हैं, परीक्षित

जरासंध के पिता बृहद्रथ के वंश में

अंतिम राजा होंगे पुरंजय

शुनक नाम मंत्री का उनके ।


वो अपने स्वामी को मारकर

राजा बनाएगा पुत्र प्रघोत को अपने

प्रघोत का पुत्र पालक होगा

विशाखयूप पुत्र पालक के ।


विशाखयूप का राजक, राजक का नंदीवर्धन

ये पाँच नरपति प्रघोत वंश के

इनकी संज्ञा होगी प्रघोतन

एक सौ अड़तीस वर्ष तक पृथ्वी भोगेंगे वे ।


शिशुनाग नाम का राजा होगा फिर

काकवर्ण पुत्र होगा उसका

उसका क्षेमधर्मा, उसका क्षेत्रज्ञ

क्षेत्रज्ञ का निधिसार, और अजातशत्रु उसका ।


फिर दर्भक होगा और उसके

पुत्र का नाम अजय होगा

अजय का नन्दीवर्धन , उसका महानन्दी

शिशुनाग वंश के होंगे दस राजा ।


ये सब मिलकर कलियुग में

तीन सौ साठ वर्षों तक राज्य करेंगे

महानन्दी की शुद्रा नाम की पत्नी

पुत्र होगा नंद नाम का उसके ।


बड़ा बलवान वाला होगा नंद ये

नंदी को महामद्य भी कहेंगे

महामद्य नाम निधि के

क्योंकि ये अधिपति होंगे ।


क्षत्रिय राजाओं के विनाश का

कारण बनेगा नन्दी ये

तभी से राजालोक प्राय

शूद्र और अधार्मिक हो जाएँगे ।


एकछत्र शासक पृथ्वी का

महामद्य होगा और उसकी

आज्ञा का उल्लंघन उसके

ना कर सकेगा कोई भी ।


क्षत्रियों के विनाश का हेतु होने से

समझा जाएगा परशुराम दूसरा वो

सुमाल्य आदि आठ पुत्र होंगे उसके

सभी के सभी राजा होंगे वो ।


वो सारे सौ वर्ष तक

पृथ्वी का उपभोग करेंगे

नाश करेंगे नंद और उसके पुत्रों का

एक ब्राह्मण चाणक्य नाम के ।


उनका नाश हो जाने पर फिर

मौर्यवंशी नरपति आयेंगे

चाणक्य नाम के वही ब्राह्मण

चन्द्रगुप्त को राजा बनायेंगे ।


चन्द्रगुप्त का पुत्र वारिसार

अशोकवर्धन होगा पुत्र उनका

उसका सुयश , सुयश का सगत

उसका शालीशूक, सोमशर्मा उसका ।



सोमशर्मा का शत्धवना और

शत्धवना का पुत्र बृहद्रथ होगा

मौर्यवंश के ये दस नरपति उपभोग करेंगे

एक सौ सैंतीस वर्ष पृथ्वी का ।


बृहद्रथ का सेनापति पुण्यमित्र होगा

राजा बनेगा स्वामी को मारकर

पुण्यमित्र का अग्निमित्र , उसका सुज्येष्ठ

उसका वसुमित्र, वसुमित्र का भद्रक ।


भद्रक का पुलिंद , उसका घोष और

पुत्र होगा व्रजमित्र घोष का

ब्रजमित्र का भागवत पुत्र होगा

और देवभूति पुत्र उसका ।


शुंगवंश के ये दस नरपति

राज करेंगे एक सौ बारह वर्ष तक

राज्यकाल समाप्त होने पर उनके

कण्ववंशी नरपति आयेंगे तब ।


कम गुणवान होंगे कण्ववंशी

और उनका अंतिम नरपति

देवभूति बड़ा लंपट होगा

मारेगा उसे मंत्री वासुदेव ही ।


कण्ववंशी वासुदेव राज करेगा तब

उसका पुत्र भूमित्र होगा

भूमित्र का नारायण , उसका सुशर्मा

यशस्वी होगा सुशर्मा बड़ा ।


कण्ववंश के ये

चार नरपति

काण्वायन कहलायेंगे ये

तीन सौ पैंतीस वर्ष तक

पृथ्वी पर ये राज करेंगे ।


कण्ववंशी सुशर्मा का सेवक

शूद्र होगा एक बलि नाम का

आंध्रजाति का एवं बड़ा दुष्ट वो

सुशर्मा को मारकर राज करेगा ।


उसके बाद उसका भाई

राजा होगा कृष्ण नाम का

चार सौ छप्पन वर्ष तक राज करेंगे

इस वंश के कुल तीस राजा ।


अवभूति नगरी के सात आभीर

दस गर्दवीऔर सोलह कंक सभी

इनके पश्चात् पृथ्वी भोगेंगे

सबके सब होंगे बड़े लोभी ।


उसके बाद आठ यवन और

चौदह तुर्क राज्य करेंगे

दस गरुण्ड और ग्यारह मौन

उसके बाद राजा वो होंगे ।


एक हज़ार निन्यानवें वर्ष तक

राज करेंगे ये अतिरिक्त मौनों के

तथा ग्यारह मौन नरपति

तीन सौ वर्ष तक शासन करेंगे ।



उनका राज्यकाल समाप्त होने पर

किलकिला नाम की नगरी में

भूतनंद नाम का राजा होगा

वंगिरी होंगे पुत्र इसके ।


वंगिरी, उसका भाई शिशुनंदी तथा

यशोनंदी और प्रवीरक ये

एक सौ छ वर्ष तक

पृथ्वी पर राज्य करेंगे ।


तेरह पुत्र होंगे इनके और

बाहलिक कहलायेंगे सब वे

पुण्यमित्र नामक क्षत्रिय और पुत्र

दुमित्र राज्य करें उसके बाद में ।


बाहलिक वंशी एक साथ ये

विभिन्न प्रदेशों पर राज्य करेंगे

उनमें से सात आंध्रदेश के तथा

सात अधिपति होंगे कोसलदेश के ।


कुछ विदुरभूमि के शासक और

कुछ स्वामी होंगे निषध देश के

इसके बाद विश्वस्फूर्ति

राजा होंगे मगध देश के ।


द्वितीय पुरंजन कहलायेगा ये

यह ब्राह्मणादि उच्च वर्णों को

पुलिंद, यदु और भद्र आदि जातियों के

रूप में परिणीत करेगा उनको ।


बड़ी दुष्ट बुद्धि होगी इसकी

रक्षा करेगा शूद्रप्राय जनता की

नाश करेगा ये ब्राह्मण तथा

क्षत्रिय और वैश्यों काभी ।


उजाड़ देगा क्षत्रियों को ये

राजधानी बनाकर पद्मवतीपुरी को

हरिद्वार से लेकर प्रयागपर्यंत

पृथ्वी का राज्य करेगा वो


ज्यों ज्यों घोर कलियुग आएगा

संस्कारशून्य हो जाएँगे ब्राह्मणगण सभी

द्विजों , म्लेच्छों का राज्य होगा

शूद्रतुल्य होंगे राजा लोक भी ।


भिन्न भिन्न प्रदेशों का राज्य करेंगे

परले सिरे के झूठे होंगे वे

छोटी छोटी बातों को लेकर

ग़ुस्सा करेंगे क्रोध के मारे ।


स्त्री, बच्चों, ग़ोओं, ब्राह्मणों को

मारने से भी नहीं हिचकिचायेंगे

स्त्री और धन हथिया लेने को

सदा वे सब उत्सुक रहेंगे ।


ना तो बढ़ते देर लगेगी इनको

और घटेंगे भी जल्दी से

क्षण में रुष्ट और क्षण में तुष्ट वे

इनकी शक्ति और आयु छोटी होगी ।


परंपरागत संस्कार ना उनमें

पालन ना करें कर्तव्य। का

रजोगुण, तमोगुण में। रहेंगे बने

व्यवहार करेंगे वो म्लेच्छों सा ।


खून चूसेंगे अपनी प्रजा का

प्रजा का स्वभाव भी होगा वैसा ही

स्वभाव, आचरण और बुद्धि उनकी

अपने राजा जैसी ही होगी ।


राजा तो शोषण करेंगे ही प्रजा का

एक दूसरे का वे आपस में भी

उत्पीड़न करेंगे और अंत में

अपने से नष्ट हो जाएँगे सभी ।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics