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Dr. Priya Kanaujia

Tragedy

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Dr. Priya Kanaujia

Tragedy

श्राप

श्राप

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मन में आशा और कुछ कर गुजर जानें की चाहत    

हौसलों को पंख लगाकर उड़ जानें की वो कोशिश    

सपनों की वो अपने करती दिन-रात ही हिफाजत    

निखरने वाला था जल्दी ही उसकी मेहनत का रंग  

पर लग गई नजर उसके सपनों को न जानें कहां से    

श्राप बना दिया उसको लड़की कहकर इस जहां ने।


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