शीतल क्षार
शीतल क्षार
इक्कीसवीं सदी का बीसवाँ साल
एक बीमार आदमी निकला
रत्ती-रत्ती कोना-कोना
आशंका में घर-बिछौना
जान के पड़े है लाले
एक नर पिशाच अति सूक्ष्म विषाणु
अदृश्य अंगारों का लावा बनकर
श्वाश में घुलकर घात कर रहा।
एक रिसर्च कहता है कि
लावे की दहक पर भारी पड़ता है
ठंडे बरफ का शीतल क्षार
ये सारे दुनिया भर के बैद, सिपाही
निर्मल कर्मी
बरफ के शीतल क्षार ही हैं।
