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Namrata Srivastava

Others

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Namrata Srivastava

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मिठास

मिठास

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रगों में लहू का जी भर जाता है,

मिठास भी क्या इतनी मुश्किल हो सकती है।


मिठास ने ये कैसा पैंतरा मारा है

मुँह मीठा करने का रिवाज ही बदल गया।


जीने के लिए खाने का सलीका क्या होगा

मिठास से बेहतर इसे कौन बता सकता है ।


आम की फांके भी बेगानी हो चलीं

मिठास मंथरा सी कब से हो गई ।


मीठा बोलो तो दुनिया तुम्हारी

मीठा खाओ फिर दुनिया के तुम नहीं ।


दुआओं के मानी बदलने चाहिए

भगवान किसी की मिठास में बरकत ना दे ।


आने वाले मेहमानों से इल्तिजा इतनी है

खिदमत में मिठाईयाँ ना साथ लाया करें ।



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