STORYMIRROR

Tanha Shayar Hu Yash

Drama

5.0  

Tanha Shayar Hu Yash

Drama

शहर है मेरे कातिलों का

शहर है मेरे कातिलों का

1 min
14K


ये ही शहर है मेरे कातिलों का

यंही मेरा वजूद साँस लेता है।


मैं रोजना निकलता हूँ घर से

यहीं मेरा गुरूर फाँस देता है।


जब रूककर देखता हूँ भीड़ को

तो लगता है कोई हादसा हुआ है।


प्यारे फूलों को तरस गए हैं हाथ

तो नस्तर हाथों के देखता रहता हूँ।


ये ही शहर है मेरे कातिलों का

यहीं मेरा वजूद साँस लेता है।


असमंजस की ये दुनिया निराली है

आदमी ज्यादा कम पौधे हो गए हैं।


तू आदमीयत जी कुछ पा ना सका

तभी इस दुनिया में फिर आ ना सका।


ये ही शहर है मेरे कातिलों का

यहीं मेरा वजूद साँस लेता है।


बस जाता जो इस दुनिया में तू कहीं

ये आदमी तुझे भी मजहब सा बाँट देता।


मेरा तो है ही ये कातिल सारा शहर

तुझे चीरफाड़ कर हर जगह टांग देता है।


मैं रोज़ाना निकलता हूँ घर से

यहीं मेरा गुरूर फाँस देता है।


ये ही शहर है मेरे कातिलों का

यहीं मेरा वजूद साँस लेता है।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama