शादी की किस्सा
शादी की किस्सा
ये हर शादी का हिस्सा,
कोई बाराती इससे नहीं बचता,
अगर दुल्हन से हो मिलना,
तो इससे पड़ेगा गुजरना।
होता कुछ यूं,
दुल्हन वाले,
किसी वहाने,
दूल्हे के जुते चुराते,
और जब तक बाराती
उसके बदले में न कुछ दें,
दूल्हे के जुते कहां मिल पाते,
ये जो कुछ मिलता,
नेग कहलाता।
बारातियों का भी होता
इज्जत का सवाल,
वलां नेग से कैसे करें इन्कार,
बहुत कशमकश होती,
तब जाके बात बनती,
और दूल्हे की जान छूटती।
कुछ लोगों ने किया,
इसमें भी सुधार,
अब दुल्हन वाले नेग में
पैसे नहीं लेते,
बल्कि बारातियों से
पौधे लगवाते,
इसके दो फायदे नजर आते,
पहला पर्यावरण की सुरक्षा,
दूसरा लोक व्यवहार
नेग रिवाज की भी भरपाई।
