STORYMIRROR

सेतु अहम् का ....

सेतु अहम् का ....

1 min
13.9K


जीवन की लम्बी डगर पे,

संग चलते-चलते,


सजाए कितने सुनहरे सपने,

फिर न जाने क्यों और कैसे,


खड़ा हो गया सेतु

हम दोनों के बीच

तुम्हारे अहम् का..


नाराज़ वक़्त ने किया दूर हमें,

मैं इस ओर,

तुम उस ओर,

मेरी हर पहल,

हर कोशिश,

हुई लाचार और कमज़ोर,


कितना मुश्किल था

पहुँचना उस पार...


अब शायद सेतु तले की

भीड़ में खोना ही

मेरे जीवन का

हो गया है सार।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama