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mohammad imran

Fantasy

4  

mohammad imran

Fantasy

सबसे बड़ा हो जाऊ

सबसे बड़ा हो जाऊ

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ना जाने क्यूँ मुझे अभिलाषा है

मैं सबसे बड़ा हो जाऊँ 


दौलत शोहरत इतनी हो की खूब इठलाऊँ 

सब झुके मेरे सामने मैं क्यों ये चाहूँ


मेरा ही डंका बजे चारों तरफ 

मैं हमेशा अपने आप को सिंहासन पे पाऊँ 


मेरे कहे अनुसार ये दुनिया चले 

जो ना सुने उसे इस दुनिया से मिटाऊँ


हर शय पे मेरी तस्वीर हो मेरा नाम हो 

भले मेरे लोगों में त्राहि-त्राहि मचा हो न कोई काम हो 


कोई खुश न हो फिर भी कोई सर उठा न पाए 

दुःख से बेहाल हो लोग फिर भी मेरा गुण गए 


मैं बदल दूँ वो सारे नियम जो मुझे रास न आए 

कोई मेरा प्रतिद्वंद्वी न हो ना हो कोई मेरे बराबर का


ना जाने क्यूँ मुझे अभिलाषा है

मैं सबसे बड़ा हो जाऊँ



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