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Madhu Gupta "अपराजिता"

Fantasy Inspirational

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Madhu Gupta "अपराजिता"

Fantasy Inspirational

"सब कहते हैं तुम हो"

"सब कहते हैं तुम हो"

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मिलूँगी तुमसे एक दिन 

क्योंकि दिल पावन है मेरा 

इसी जन्म में होगी मुलाकात 

रूबरू बैठूंगी तुम्हारे पास 

बताऊंगी सारी आप बीती 

करूंगी सवाल और चाहूंगी जवाब बदले में

उस वक्त ना नहीं कह पाओगे 

आपको देना होगा मेरी हर बात का जवाब 

शांत नहीं बैठने दूंगी आपको 

आंखें बंद करके मौन होकर बिल्कुल भी नहीं 

लड़ जाऊंगी आपसे

सच्ची कह रही हूँ

उस वक़्त नहीं चलेगी आपकी मनमानी 

खोलने होंगे अपने नेत्र और होंठ के दोनों पट

देखकर मुझे

और मेरी तरफ़

मेरे हर हालात का और करना होगा सामना 

मौन से काम नहीं चलेगा 

झझकोरुऊंगी आपको 

अगर जो आप बैठे शांत 

बताना कौन था गलत 

किसने की गलती 

कौन था भागीदार और 

किसके साथ किसने की साझेदारी गुनाहों की 

अनसुना नहीं करने दूँगी 

पैर पकड़ कर बैठी रहूंगी 

तब तक 

जब तक नहीं दोगे उत्तर

और मेरे हर सवाल का जवाब 

जब तक मैं संतुष्ट नहीं हो जाती 

उठकर मेरे पास से नहीं जाओगे आप 

मेरी कहानी आप ही ने तो लिखी है 

फिर उत्तर तो देना ही होगा हर हाल में 

मेरे समक्ष खड़े होकर 

मेरे दोष और मेरे गुनाह क्या हैं

आपको गिनाने होंगे 

इससे पहले मैं आपको नहीं छोड़ने वाली 

कदापि नहीं बिल्कुल भी नहीं 

चाहे उसके बदले जमाना ही क्यों ना छोड़ना पड़ जाए मुझे 

यही जिद्द है मेरी 

लोगों ने क्यों रचा ये खेल

उनका उत्तर तो आपको देना ही होगा माधव

चाहे जो हो जाए 

कहां हूं गलत बताना तो होगा ही 

सब कहते हैं तुम हो 

मुझे भी यहीं यकीन है 

तुम हो मेरे आस-पास ही हो 

तो इतना तो आपको करना ही होगा 

आपकी बेटी हूं आपको उत्तर तो देना होगा...!! 


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