सौगंध
सौगंध
हमें सौगंध देश की है, देश के लिए देश के लिए मर जाएंगे।
नाम इस जग में अपना कर जायेंगें।
जो आँ ख उठाकर देखेगा इस तरफ, वो आँ ख निकाल देंगें।
उसके काया के टुकड़े करके हजार चील, कौवे को खिला देंगे।
रक्त के एक -एक कतरे को नाली में बहा देगें।
हिम्मत किसकी है इस, धरा को खुद में मिलाने की
कर धराशायी उसे, जिंदा वहीं दफना देंगे।
समर भूमि में, ये कौन ललकार रहा है?
शीश काट धड़ से, मृत्यु घाट पहुँचा देंगे।
समझा क्या है, हम, वीरों को सबने
अपने शत्रु को यमलोक पहुँचा देंगे।
जो यमराज आये रोकने, उन शत्रुओं को
संग काल के भिजवा देंगे।
मातृभूमि रक्षा तक काल हाथ के जुड़वा लेंगे।
हमें सौगंध------