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Ashok Kumar Gupta

Drama

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Ashok Kumar Gupta

Drama

साठ पार

साठ पार

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साठ पार हो गये तो क्या?

अरमान‌ अभी जवान हैं।

रिटायर हो गये तो क्या?

नजरें अभी तीर कमान हैं।


होकर मुक्त अब दुनियादारी से

ऒर रिश्तों‌ की वफादारी से

उन्मुक्त सासं हम ले रहे हैं

स्वछन्द जीवन जीने का

अहसास हम ले रहे हैं।


भूल से भी न समझे भार हमें,

जवानों‌ की ये महफिल

लाचार नहीं समझे हमें कोई

हम हैं ससक्त ऒर शेरदिल

रफ्तार भले ही कम हो

लम्बी दूरी के हम सवार हैं

हो गये भले ही साठ पार

पर भुजाएं अभी तलवार हैं।

मीठे ऒर कड़वे अनुभवों की

पूंजी पाई है।

इन्हैं हासिंल करने को कई

चोट हमने खाई है।

नोजवानो आओ ले लो हम से

इस अनमोल खजाने को।

अपने पुरुषार्थ में मिलाकर इन्हैं

दिखा दो सफलता के जलवे जमाने को।

नहीं चाहते कोई मोल हम

हमारी नसीहतों का धन‌ में।

बस चाहते हैं सम्मान अधेडों का

नॊजवानों के मन में।


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