साठ के बाद जीवन ख़त्म नहीं होता ,बल्कि खुल कर साँस लेने को उन्मुक्त गगन बनता है साठ के बाद जीवन ख़त्म नहीं होता ,बल्कि खुल कर साँस लेने को उन्मुक्त गगन बनता है