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Ashok Kumar Gupta

Drama

3  

Ashok Kumar Gupta

Drama

अनबन में सुलगते तन बदन

अनबन में सुलगते तन बदन

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तू भी है मौन, मैं भी हूं मौन

अब, पहल करे कौन ?


निगाहें यूँ चुरा रहे हो

बच के क्यूँ जा रहे हो

बढ़ के दामन थामे कौन ?

तू भी है मौन ,मैं भी हूँ मौन।


दिल धक-धक कर रहा है

पहल करने से डर रहा है

बैचेन साँसों की आवाज सुने कौन ?

तू भी है मौन, मैं भी हूँ मौन।


मन मेरा भटक सा रहा है

गले में कुछ अटक सा रहा है

बढ़ती धड़कनों को अब सुने कौन ?

तू भी है मौन, मैं भी हूँ मौन।


दूरियाँ तुझे क्यूँ भा रही है

ये बेरूखी हमें खा रही है

ताप मन का अब हरे कौन ?

तू भी है मौन, मैं भी हूँ मौन।


जिन्दगी में मेरी, तुमने ही भरे रगं

नाराजगियों से यूँ ना करो इसे बदरगं

दिल के कैनवास पर,

खुशियों के चित्र उकेरे कौन ?

तू भी है मौन, मैं भी हूँ मौन।


सपने कई देखे हैं तेरे ही सगं

जीवन की शाम‌ ढलने से पहले,

न‌ करो इन्हें भगं

बिन तेरे सपने देखेगा कौन ?

तू भी है मौन, मैं भी हूँ मौन।


देख तो लो एक बार

गर हो जाए एतबार

दे देना स्वीकृति मौन

तू भी है मौन, मैं भी हूँ मौन।


समय यूँ कहीं निकल न जाय

जीवन मोम सा पिघल न जाय

पश्चाताप के आँसू पोंछेगा कौन ?

अगर यूँ ही हम दोनों रहेंगे मौन।


तोड दो चुप्पियों की दीवारें

समझ‌ लो मन के ये इशारे

खुशियों से न करो किनारे

लग भी जाओ गले हमारे।


न तुम रहो मोन न मैं रहूं मौन।

न तुम रहो मौन न मैं रहूँ मौन।।


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