साथी साथ निभाना...!
साथी साथ निभाना...!
तुझ पे यक़ीन कैसे करूँ,
मुझे आज बतला जाना,
मोहब्बत कि हर बंदिशों को,
तोड़ के मुझसे मिलने को आना,
मेरी मोहतरमा, मेरी माशूका, मेरी जानेजाना,
दिल को जलाता हैं, दिल का ही तराना,
बहुत आई-गई यादें, मगर इस बार तुम्ही आना,
उदासी भूलकर मेरे साथ सिर्फ मुस्कराना,
सहेंगे हर ग़म-ख़ुशी मिलकर,
चलेगा ना कोई भी बहाना,
साथी साथ निभाना-2,
तुझ पे यक़ीन कैसे करूँ,
मुझे आज बतला जाना!

