साजन का संदेश
साजन का संदेश
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
बीत गए ! कई दिन,
शायद मौसम भी बीत गए
बारिशें आती जाती रहती हैं
भिगो- भिगो तन जलाती हैं।
आँचल पहले से ही भिगा रहता है
वियोग में बहती अश्रु धारा से
बेहया ! बने बादल भी
रहम ज़रा न खाते है ।
कितना समझाया मैंने इसे
प्राण प्रिय पर्वत के उस पार है
ज़रा पूछ कर आ उनसे
भूल गए क्या जाकर अनजाने देश।
डगर - डगर मैं भटकूँ
कब तक मैं राहें ताकूँ
ऐ निर्दयी जा कर ले आ
अब तो साजन का संदेश।