ये हवाएँ
ये हवाएँ
गुमसुम सी ये हवाएँ ,
कुछ कह रहीं हैं मुझसे ।
हौले हौले से करीब आ के ,
सरगम सी बज रही आज ।
खामोश तन्हाई में घुल के ,
न जाने क्यूँ छेड़ रहीं मुझे ।
खो जाऊँ मैं भी मस्ती में,
साजिश कोई रच रही हैं ये ।
इन बहकी सी हवाओं में ,
पंछी बन उड़ जाऊँ मैं ।
पर्वतों को पार कर लूं ,
बादल को छोड़ आऊँ ।
महकी हवाओं संग आज ,
मैं खुशबु बन खो जाऊँ ।