रुला कर चला जाता था
रुला कर चला जाता था
उसका छोटा सा घाव
मुझ पे बड़ी चोट
करता था,
उसे मालूम भी था
या नहीं,
वो इससे बड़ा
अनजान था,
हर रोज़ रुला कर चला
जाता था !
हर बार मेरी आँखों में
एक आँसू दे जाता था वो,
मेरी नींद, चैन, सुकून, करार
सब छीन ले जाता था वो,
मैं उससे इश्क़ करती थी
पर पता नहीं उसे क्या
लगता था, जो हर रोज़
रुला कर चला जाता था !