रुका हुआ फैसला
रुका हुआ फैसला
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एक सपना रोता है मेरी पलकों की
दहलीज़ पे बैठे
रुके हुए फैसले के इंतज़ार में !
उस महफ़िल की सौगात मेरी लौटा
दो जो अपने लबों से उठाई थी मेरे
तब्बसुम से!
सगाई बस इतनी रखकर गए तुम
एक प्यास बुझाकर अपनी
तन्हाई से दामन मेरा भर गए !
चखना नहीं मेरे अहसास थे
जो पी गए तुम भरकर शराब की
प्याली संग !
एक वादे के बदले हमने लूटा दिया
खुद को, अब उम्मीद का दामन थामें
या हसरतों का घोंट दे गला !
इस रुके हुए फैसले का हिसाब कर दो
मेरे अहसासों का पता बता दो !
एक हसीन शाम को खो गया था दिल मेरा
किसी अजनबी के दिल की गलियों में
ढूँढती हूँ दर ब दर नंगी धड़कन के तन को,
जिसे साँसों ने टिका रखा है अपनी आगोश
की तपिश से।।