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पुनीत श्रीवास्तव

Fantasy Others

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पुनीत श्रीवास्तव

Fantasy Others

रोमांच!

रोमांच!

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कुछ तो है ही कहीं,

जो ज़िंदगी मे जो रोमांच बचा के रखता है,

किसी न किसी दिन...

कोई अलादीन चिराग सा मिलेगा,

आज भी ख्यालों में आता है

कभी लगता है, कोई खज़ाना हाथ लगेगा 

सोने चाँदी से भरा कोई घड़ा,

कोई जिन्न सा आएगा 

क्या हुक्म मेरे आका वाला !!

अट्टाहस के साथ !

सपनों में भी जो न सोची हो,

वैसी ज़िन्दगी मिल जाएगी 

पर,

परी कथाएं, जिन्न, ख़ज़ाने 

सिर्फ कथा कहानियों में ही होते हैं!

सबकी ज़िन्दगी तो बड़ी सपाट है,

रोज रोज की, चौबीस घण्टे की गणित है, 

एक एक पल गुजरते 

बिना इन कहानियों ,जिन्न और ख़ज़ानों के !!

पर जीवन में ये रोमांच बना रहना चाहिये

किसी न किसी दिन ....



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