बचपन !
बचपन !
टी वी टाटा स्काई वगैरह के रिमोट के
पीछे के ढक्कन गायब क्यों हैं !
बच्चों के आस पास होने की गारण्टी है
पुती दीवार पर ये आड़ी टेढ़ी रेखाओं से बना क्या है !
कोई नन्हा कलाकार सीख रहा है
मोजे पल्टे जूते एक इधर एक बहुत दूर कहीं
कोई पढ़ने जा रहा है
चाभियाँ, सेल टॉर्च के गद्दों के नीचे मिल रहे हैं !
रहस्यमय खेल में कोई मगन हुआ है
पेंसिलें कटर और कुतरा रबर कहीं,
झाड़ू की सफाई में मिला है
कोई ज्ञानी कहीं न कहीं पढ़ रहा है
टिफ़िन में मुड़ी सी पूड़ी बच के आई है ,
थोड़ा सा पानी बोतल में था जस का तस आया है
लंच में कोई खेल रहा है यारों के संग
ये सब जब हो रहा होता है तो हम
अपने गुजरे वक्त को जी रहे होते हैं,
एक बचपन जो बीत गया
एक बचपन जो बीत रहा है !