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Pradeep Sahare

Tragedy

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Pradeep Sahare

Tragedy

रंडी

रंडी

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दो अक्षर का,

यह शब्द ।

दो जिस्म के,

बीच बना

क्यों ?

तिरस्कृत है होता ।

इसमें किसकी,

होती है खता ।

किसी को,

नही होता पता ।

लेकिन यह,

प्रतिबंधित शब्द,

पुरुष की जुबां पर,

कैसे आ जाता ?

जिसका कारण भी,

तो वही है होता ।

घर की चौखट को,

लांघकर वही तो,

होता है विवश ।

सबसे पहले ।

निवस्त्र होकर,

करता प्रदर्शन ।

अपनी मर्दानगी का ।

उसके सामने ।

उसका तो मात्र,

अनचाहा साथ होता,

चाहत के विपरित ।

चंद कुछ रुपये के बदले ।

फिर क्यों !

स्खलन के बाद,

शब्द उभर आते,

जुबा पर "रंडी"

जो पहुंचाते ठेस ।

उसके सम्मान को ।

और गूंजते कानो में ।

गर्म तेल से,

रंडी.. रंडी... रंडी....।



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