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Pradeep Sahare

Others

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Pradeep Sahare

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हिचकी

हिचकी

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एक समय था,

हमें लगती हिचकी बार बार

हमें भी हिचकी लगने का,

रहता था इंतजार

क्योंकि, था बड़ा परिवार

सब में था गहरा प्यार

करते एक दूसरे का इंतजार

करते एक दूसरे को याद

हिचकी आती थी उसके बाद

करते थे हम याद, और बोलते,

'' किसे आयी होंगी हमारी याद?

लेते नाम इसका उसका

करते पल में सबको याद

बंद होती हिचकी उसके बाद


अब हम,

आधुनिकता के बवंडर में,

ना जाने कहां खो गए

अपने, अपनों से,

अनजान हो गए

जो था रिश्तों में प्यार

मतलब के खातिर ,

हो गया है दुश्वार

अब ना करते किसी को याद

हिचकी भी हो गयी,

जीवन से बाद



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