शब्द
शब्द
शब्द से शब्द बनते,
शब्दों की बनती माला।
शब्दों की माला से बने,
गीता, बाइबल, कुरान।
शब्दों की माला से सजे,
ज्ञान की दुकान।
शब्दों की माला से बने,
गीत, गज़ल, शायरी।
शब्दों में शब्द मिले तो,
बनती मधुशाला।
शब्दों में मिले संगीत,
बने कर्णप्रिय गीत।
शब्दों के ज्ञान से,
बने बड़े बड़े पंडित।
शब्द प्रेम है, प्रेम भाव है।
शब्द शिव हैं, शिवा हैं।
शब्द भक्ति है, शक्ति हैं।
शब्द ध्यान हैं, तपस्या हैं।
शब्द हैं धरती की माटी,
शब्द हैं सागर के मोती।
शब्द हैं चाँद का प्रकाश।
शब्द हैं सूरज का प्रताप।
शब्द से व्यक्त होता प्यार।
शब्द से चलता सारा संसार।
मैं सोचता हूं,
अगर हमारे पास,
यह शब्द ना होते।
तो हम कैसे कह पाते,
एक दूजे दिल की बात,
हम सब जड़वत हो जाते।
ना किसी से कह पाते,
ना किसी को सुन पाते।
जीभ होकर भी गूंगे होते।
वह शब्द हैं,
जिसके माध्यम से हम,
अपनी भावनाओं को,
करते हैं व्यक्त।
शब्द ही है,
संवाद का माध्यम सशक्त।
शब्दों के माध्यम से,
करता हूं ,
अपनी बात व्यक्त।
सही समय पर,
सही शब्द उच्चारो,
खुशहाल रहें,
सारा जग हमारा।
