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Pradeep Sahare

Others

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Pradeep Sahare

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प्रेम

प्रेम

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नयनो से उतरकर,

सांसो को रोककर

हृदय स्पंदन बढाकर

दिल में उतरकर

शब्द बनकर

कागज़ पर उतरकर

गुलाब के फुल में,

समाहित होकर

पंखुड़ियों में बिखरकर

लगता अपना हरदम

वह शब्द है,

प्रेम।


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