STORYMIRROR

Pradeep Sahare

Romance

3  

Pradeep Sahare

Romance

प्रेम

प्रेम

1 min
232

नयनों से उतरकर,

सांसों को रोककर।


हृदय स्पंदन बढ़ाकर।

दिल में उतरकर।


शब्द बनकर

कागज़ पर उतरकर।


गुलाब के फूल में,

समाहित होकर।


पंखुड़ियों में बिखरकर

लगता अपना हरदम।


वह शब्द है, प्रेम।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance