प्रेम
प्रेम
नयनों से उतरकर,
सांसों को रोककर।
हृदय स्पंदन बढ़ाकर।
दिल में उतरकर।
शब्द बनकर
कागज़ पर उतरकर।
गुलाब के फूल में,
समाहित होकर।
पंखुड़ियों में बिखरकर
लगता अपना हरदम।
वह शब्द है, प्रेम।
नयनों से उतरकर,
सांसों को रोककर।
हृदय स्पंदन बढ़ाकर।
दिल में उतरकर।
शब्द बनकर
कागज़ पर उतरकर।
गुलाब के फूल में,
समाहित होकर।
पंखुड़ियों में बिखरकर
लगता अपना हरदम।
वह शब्द है, प्रेम।