Madhu Gupta "अपराजिता"

Fantasy Inspirational

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Madhu Gupta "अपराजिता"

Fantasy Inspirational

रक्षाबंधन

रक्षाबंधन

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है यह पर्व रक्षाबंधन का, दुआओं के तमाम तोहफ़े बहन लाई है। 

करो ना देरी सजाओ थाली, भाई से मिलने की घड़ी आई है।। 

हर्ष उल्लास ले रहा अंगड़ाई, बचपन की यादें ताजा करने को मन में बेताबी छाई है। 

खुशियों की बरसात करने को, बहन झूम कर भाई के आंगन में आई है।। 


है यह पर्व रक्षाबंधन का, दुआओं में तमाम तोहफ़े बहन साथ लाई है।। 


यह रिश्ता है बड़ा पावन दिलों से दिलों की डोरी और मजबूत हो आई है। 

यह रक्षा सूत्र है ऐसा कि वादा करने की घड़ी, भाई के पास आई है।। 

बहन ने भाई की कलाई में, प्रेम और अपनेपन की राखी सजाई है। 

गले से लगाकर भाई ने, हर खुशी देने की आज रस्म निभाई है।। 


है यह पर्व रक्षाबंधन का, दुआओं में तमाम तोहफ़े बहन साथ लाई है।। 


मिलावट का नहीं, यह रिश्ता हृदय की सच्ची भावनाओं की निशानी है। 

खून के साथ-साथ यह, दिलों के रिश्तों की भी बनाता डगर सुहानी है।। 

आपसी प्यार और समझदारी से, यह रिश्ता दिन-ब-दिन निखर और संवर कर, पाता नई ऊँचाई है। 

कभी तीखी नोक झोंक कभी रूठना मनाना, इस रिश्ते की ख़ूबि पुरानी है।। 


यह पर्व है रक्षाबंधन का, दुआओं में तमाम तोहफ़े बहन साथ लाई है।। 


चला आ रहा यह रिश्ता, कई जन्मों जन्मांतर की गहरी सच्चाई है। 

राजा बलि को बांध रक्षा सूत्र, माता लक्ष्मी ने पाताल लोक से पति की वापसी कराई है।। 

द्रौपदी ने भी बांध साड़ी की चीर कृष्णा को, घायल उंगली में मरहम लगाई है। 

रहे सलामत यह भाई बहनों का रिश्ता "अपराजित" ने ऐसी प्रीत जगाई है।। 


है यह पर्व रक्षाबंधन का दुआओं में तमाम तोहफ़े बहन साथ लाई है।। 



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