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रिश्वत

रिश्वत

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आँखों ने जुगनू को उजाले में चमकते देखा

बेवफ़ा जुगनू निकला या अंधेरे ने रिश्वत ली थी।


आपने बस कह दिया और हमने मान लिया

पर धूप में बरसने की बादलों ने रिश्वत ली थी।


हम तो आदतन कभी शायर थे ही नहीं

पर आपने तारीफ करने की रिश्वत ली थी।


कल ही की बात है, किसी बात पे मैंने रोना चाहा,

कमबख्त आँसुओं ने भी आँखों से रिश्वत ली थी।


नादान दिल ढूंढता रहा पानी में नशे की कैफियत

क्या पता कि साकी ने शराब से रिश्वत ली थी।


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