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Dr. Imran Khan

Abstract

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Dr. Imran Khan

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ढूंढ रहे हो

ढूंढ रहे हो

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मेरे नाम में मेरी पहचान ढूंढ रहे हो

ज़मीं पे रहकर आसमान ढूंढ रहे हो


अफसोस ! आने में थोड़ी देर कर दी

तुम एक मुर्दे में जान ढूंढ रहे हो


मेरे रहते तुमने मुझे नज़रअंदाज़ किया

मेरे जाने के बाद मेरे निशान ढूंढ रहे हो


लगता है तुम गलत जगह आ पहुँचे हो

बेईमानों के शहर ने ईमान ढूंढ रहे हो


एक काग़ज़ के टुकड़े की बुनियाद पर

तुम मेरे दिल में हिंदुस्तान ढूंढ रहे हो।


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