सच
सच
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अखबार का कागज़ कितना ही उजला क्यों ना हो
स्याही उसकी हमेशा काली ही रहती है
किसी भी ज़बान का इस्तेमाल कर लो साहब
गाली तो आखिर गाली ही रहती है
महंगा लिबास पहनने से फितरत नहीं बदल जाती
मवाली लोगों की फितरत मवाली ही रहती है
पत्ते तो मौसमों के हिसाब से आते जाते रहते हैं
दरख़्त के साथ उसकी डाली ही रहती है
कुछ लोगों की जगह जिंदगी में कोई नहीं ले सकता
कुछ लोगों की जगह हमेशा खाली ही रहती है