रिश्तों में दरार
रिश्तों में दरार
जब रिश्तों में खड़ी हो जाती है दीवार
ढह जाते हैं रिश्ते ज्यूँ रेत की दीवार
रेत ही रेत से करती है तकरार
रेत ही रेत को क्यों करती है शर्मसार।
रिश्तों की पोटली दूर से देखी तो बहुत बड़ी थी
धरती पर ज्यूँ स्तब्ध जड़ी थी
उठाए न उठता था उसका भार
हम नहीं थे जिन संघर्षों के लिए तैयार।
जिंदगी उन्हीं मोड़ों पर लाई बार-बार
हमने भी नहीं की हार स्वीकार
रिश्तों में संघर्ष तो संघर्ष सही
हम किसी से कम नहीं।
रुकेंगे नहीं झुकेंगे नहीं
खोल के ये पोटली
हमने चुनौती ली
रोना नहीं है धोना नहीं है।
बदलेंगे उन सभी परिस्तिथिओं को
तोड़ेंगे उन बंधनों को जो रोकते हैं
रिश्तों को बरकरार रखने में
रिश्तों की मिठास वापस लाएंगे।
हम रिश्तों में दीवार नहीं बनाएंगे
देख लेना हम विजयी हो जायेंगे
हम रिश्तों का इतिहास बनाएंगे।
