"दो पत्ते टूटे शाख के"
"दो पत्ते टूटे शाख के"
दो पत्ते टूटे शाख के,
पतझड़ आना बाकी हैं,
कह दो गिरती धूप से,
आंगन की धूप में,
कलम आना बाकी है,
परवाह नहीं मुझे,
जला दे मेरा घर,
कर दे मुझे बेघर,
तेरी ताप को करने खत्म,
मेरी बारिश आने वाली है,
मुड़ा है हवाओं का रुख,
कली दरख्त सब सूखे है,
कह दे तेरी हवाओं से,
धीरज धर कुछ देर,
सुनामी आने वाली है,
कह दे तेरी धूप से,
हमने जलती धरती देखी है,
घमंड रखा है तेरे तेज़ में,
इसलिए तू बहकी बहकी है,
सब्र कर ऐ जलती अग्नि,
सांझ संवरने वाली हैं,
बिखरेगी तू क्षणों में,
छाँव जो आने वाली है,
कर दे भले तू बंजर खेत,
उड़ा ले जा मेरे घर की रेत,
खेतों से महक आने वाली है,
कह दे तेरे अकाल से,
खेत में फुहार आने वाली है,
है रात तुझे आजादी,
कर ले तू हसरत पूरी,
पर रख तू याद इतना,
कही भोर होने वाली है,
दूजे पल ही दूर होने वाली है।