"कर्म"
"कर्म"
कर्म अश्व हो सवार,
पथिक ले समर्पण विचार,
कोष्ण वायु, कंटीला पथ,
तप्त धरा, कठोर पथ,
कदम उठा, निरंतर अविराम,
भले है असमंजस विशाल,
असमंजस खेप मे,
मोती चिंतन समाया हैं,
मुश्किल गृभ ने ही,
सम्भव कल बसाया हैं,
चिन्ता, निर्बलता, डर हैं बैरी,
पहले हल हो यह पहेली,
विचार हो, समाधान हो,
विकट है समस्या,
सरल निदान हो,
भीरु विशाल बंजर में,
साहस उर्वरा सम्भव हो,
प्रयत्न रथकार हो,
कर्म सदा सार्थवान हो,
भूमि कर्म रणभेरी बजे,
चहु दिशा जय जय बजे,
छूटा चैन सुख बलिदान,
टूटा भ्रम, हुआ निदान,
हर कुसुम कपोल की,
जीत हरी हरी है,
सृष्टि के कण कण में,
विजय महक फैली है,
असंभव काल कोख में,
कल निश्चित सम्भव है,
श्रम है जीत की कुंजी,
युगों तक विजय निश्चित है,
हे पार्थ, धारित पुरुषार्थ,
त्याग चिन्ता, धर धीरज हाथ,
खोल आंख, विजयी हुआ,
अचूक रही श्रम की घात।।