इस दुनिया मे तीरंदाज कोई नही पर हर कोई कुछ न कुछ ज़रुर जानता है इस दुनिया मे तीरंदाज कोई नही पर हर कोई कुछ न कुछ ज़रुर जानता है
खोल आंख, विजयी हुआ, अचूक रही श्रम की घात। खोल आंख, विजयी हुआ, अचूक रही श्रम की घात।