"फिर लेने लगे हिलोरे"
"फिर लेने लगे हिलोरे"
फिर लेने लगे हिलोरे,
क्यों सोये जज्बात है,
खिच चले है उनकी ओर,
कोई तो भला बात है,
अरसों बाद है चमका सूरज,
सूखी पवन भी साथ है,
चकोर में है खोया चाँद,
क्यों मचल रही यह रात है,
दूर है वो सागर मुझसे,
पर होंठों पर तो प्यास है,
करीब होकर भी न मिल सके
यह कैसी मुलाकात है,
चमक नैन में चमक उठी,
क्यों चमक से वो अनजान है,
बताओ पूजूँ न भला क्यों उसे,
क्यों न वो ही मेरा भगवान है,
बिन उसके है मृत से हुए,
क्यों वो ही मेरी जान है,
दूर हुए तो बेघर से हम,
क्यों वो ही बस जहान है,
फिर लेने लगे हिलोरे,
क्यों सोये जज्बात है,