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THE UNIQUE

Classics

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THE UNIQUE

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"शुक्र है तेरा"

"शुक्र है तेरा"

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शुक्र है तेरा, 

इल्तिजा है रब तेरा,

उनकी बातों में ही,

सब खोया है मेरा,

क्यों रखूं शिकायत अब,

घनी रात गुजरे बाद, 

आखिर आया है सवेरा,


है तसल्ली इतनी,

अब भोर होने को है,

मेरे सपनों की कुटिया,

महल होने को है,

कुटिया के एक कोने में, 

दफन है कुछ मेरा,

इतना क्या कम है, 

घर पसंद है उन्हें मेरा,


बन गए महल, 

छूटे बसेरे ओर रेन,

ढूंढ़ के लाये जरा, 

कहा पीछे छूटा है चैन,


एक तमाशा जुट गया,

एक बाजार लूट गया, 

चैन की खोज में,

इक अरसा गुजर गया,


मोहब्बत के अखाड़े में, 

इश्क़ के घमासान में,

कोई खुद से लड़ गया,

फूलो को महक देने वाला,

सूखे पत्ते सा झड़ गया,


सबको संभालने वाला वो,

जीत जग खुद से पिट गया,

जग रोशन करने वाला वो,

आज भरी दुपहरी मिट गया।


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