रिश्तों के सारे मंजर.... चुपचाप देखता हूँ.....
रिश्तों के सारे मंजर.... चुपचाप देखता हूँ.....
रिश्तों के सारे मंजर....चुपचाप देखता हूँ...
हाथों में सबके खंजर...चुपचाप देखता हूँ...
हर आहट पर उनकी नजरें...किया करती थी
कभी मेरा भी इंतजार...
जिनके लिए था जिंदा वो रिश्ते मैं मरते हुए...
चुपचाप देखता हूँ...
हाथों में सबके खंजर ... चुपचाप देखता हूँ...
रिश्तों के सारे मंजर... चुपचाप देखता हूँ...
मुस्कुराहटों को मेरी सिमट के रखना थी जिनकी आदत...
आँसुओं को अब मेरे निलाम करते...
चुपचाप देखता हूँ...
हाथों में सबके खंजर ... चुपचाप देखता हूँ ...
रिश्तों के सारे खंजर ... चुपचाप देखता हूँ...
वफा की नीयत पर मेरे, थकती नहीं थी जिनकी कहते जुबान
आज उसके ही हर लफ्ज को खामोश होते...
चुपचाप देखता हूँ...
हाथों में सबके खंजर... चुपचाप देखता हूँ...
धरता है तोहमत मुझपे वजूद मेरा...
तुझसे जो की थी मुहब्बत को बरबाद होते...
चुपचाप देखता हूँ...
हाथों में सबके खंजर... चुपचाप देखता हूँ...
रिश्तों के सारे मंजर ... चुपचाप देखता हूँ ...