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Amruta Thakar

Tragedy

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Amruta Thakar

Tragedy

रिश्ते

रिश्ते

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एक रिश्ते को निभाने के लिए,

खुद को कितनी बार खोया..

मासूम चेहरा

खुद के अंश की हिफाजत में

स्वाभिमान को जलाया ..

बेआबरू होके 

जिस को सरताज बनाया...

मौके और दस्तूर पे मुंह फेरे

गैरौ की महफिल सजाते देखा ..

समझना नहीं के कोई शिकवा गिला 

या रहम की चाहत है..

इन सब के लिए तेरे दिल में

कहा अहमियत है..

हंसता हुआ ये चहेरा

बार बार रुसवार है..

हर वक्त तेरी बेतुकी

फरियाद फटकार है...

थाम के निभाने की

मेरी कोई हद नहीं ...

बेशर्मी और नार्मदगी की

तेरी हद कहाँ है?


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