किस्मत
किस्मत
फूटे घड़े जैसी किस्मत के सहारे खलता है हर पल स्वार्थ में ,लिपटे बेगीनत सहारे को देखकर
जो नाम से जुड़ा है वोह तो बस बेबसी जलालत ही देगा,
जो मन से आत्मस्थ रवानगी की तरह बेहता है हर दिन मेरे साथ वो ...
अधूरे की प्यास पल पल तरसाती आंखों को बरसाती है,
बस एक यह ही सचा है ,बाकी सब नियती का खेल है !
