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Amruta Thakar

Abstract

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Amruta Thakar

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वयस्क

वयस्क

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आज सफेद बाल संवारते मिला

गत जीवन की पुरी दास्तान कह गया

वैसे तो उम्र अब काली जुल्फो को लहराने की नही

फिर भी सहारा सी सुखी आंखो में कई अनगिनत अधूरे ख्वाबो को जिंदा कर गया

कुछ हंसी आ गई अपने मूर्ख हवाई महलों पे

वयस्कता कहाँ नई बात है

हमने तो जिंदगी को दो रूप में ही देखा है बचपन....वयस्क!


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