रिक्तता
रिक्तता
शायद रिक्तता ही ज़िन्दगी है
तेरे चुनाव में फिर से हम हारे हैं
तेरी सलामती तेरी दुनिया जगमगाए
रुखसत हम कर जाते हैं
माना के अब वो भरोसा या वो रिश्ता बेनाम सा अब नहीं लौटेगा.
पर ए मुझसे जुदा होके तु मेरे जज़्बात भी खींच ले गया है
कितनी भी कोशिश कर ले तेरे हर एक पल में भर जाएंगे ये जज़्बात यादों के कितने रंग बनके!