STORYMIRROR

Amruta Thakar

Tragedy

3  

Amruta Thakar

Tragedy

ज़िंदगी

ज़िंदगी

1 min
47

एक एक लम्हा बीतता चला

सुकुने दिल की तलाश में कई बार नज़रे रुक जाती है

फिर धोका खाकर अश्रु सौगात लिए

अजीब सी तुटन लिए जिंदगी बेसहारा गुजरती है

बेबाक हँसी के पीछे कितने गम छूपे हैं

हर संबंध में सहारा बनके हम थोड़ा थोड़ा कटे हैं

कोई हमदर्द मिले तो के हदे दास्तान जिंदगी

तेरी बेरहहिमी की पर चमकते दमकते बाज़ार में

कहाँ सच्चे दिल फरिश्ते मिलते हैं

पीछे मुड़कर जिंदगी हम जब भी तुझे देखते हैं

हसीन चेहरों के पीछे कई भरोसे के काबिल दिखते हैं

हम ही कसूरवार हैं

जो इतनी ऋषवाय करके आये जिंदगी बार बार भरोसा करते हैं...


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy