रह गए अधूरे उनके सपने..
रह गए अधूरे उनके सपने..
सपने गांधी जवाहर के
अधूरे रह गये
सपना था देखा
एक संघ भारत का
आजादी के लिऐ
लडे जो शहीद हो गऐ
हाँ झंडे तले तो ऐक ही हम
पर आपस में लड रहे
जाती धर्म के नाम में ऐ नेता हमे बाँट रहे
रोटी उनके मतलब की सेंक रहें
हमारी देहकती जमीं पर
राख हों रहें हम और ओ
ऐक होके खा रहे हमारे हक का सब
सपना था देखा
लालबहादुर ने
के हो समृध्द हर किसान
इस कृषी प्रधान हमारे देश में
कृषी तो हो गई समृध्द पर
किसान हुँआ कंगाल
रोज पढो अखबार तो
लटके है दो चार
दिया है संविधान ने हमे
हक सर्व शिक्षा का
कहाँ पढ रहे बच्चे
दाम बगैर चुकाए नोटों से
हाँ समानता की भी तो देखा था सपना
कहाँ झोपडियों ने अब तक
बदलाव देखा इटों का
सपने हर एक है
अलग अलग बस अपने ही लिऐ
देखो इन्हीं आँखो से कुछ कलाम जैसे
सपने अपने देश के लिऐ--
बने हमारा देश भी
एक संघ ! खुशहाल हो
सपने हर आँख में
प्रगति करे हर इंन्सान
न हो लाचार कोई बेचने को इमान ,
ना किसी बहन को करे शर्मिदां
उसकी जरूर कोई
रह ना जाए सपना बापू का अधूरा
इस प्यारे शांती से भरे देश का ..
सुजलाम !सुफलाम !सस्यशामलाम्
देश रहे हमारा सर्वथा..