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प्रवीन शर्मा

Tragedy Others

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प्रवीन शर्मा

Tragedy Others

भुलाना मजबूरी क्यों लगे

भुलाना मजबूरी क्यों लगे

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कहानी अपनी ही थी फिर भी, 

किसी को सुनाना, बड़ा मुश्किल लगे हमें।

प्यार से प्यार का इकरार तक कर न सके,

नासमझ, दिल क्यों ना कहे हमें।


हम गुरूर करते रहे अपनी दोस्ती पर

वो क्या गया मुझ में कुछ टूटा लगे हमें

छत के दरवाजे पर जाले लग गए है अब

जाने के बाद से जाने क्यों पर चांदनी से डर सा लगे हमें


बुरा लगना था उनके जाने पर तो मुस्कुरा दिये

वो किसी और की जद में है, क्यों बुरा लगे हमें

सांसो से जरूरी दो शब्द ही तो थे, कहना भूल गए

वो हमें भूल गए तो सांसे ही जरूरी ना लगे हमें


तस्वीर देखते हैं, माचिस भी ढूंढ लाते है कहीं से पर

जलाने की हिम्मत में हिम्मत ही कम लगे हमें

कोई कहता है भूल जा बेवफा को, चुप रहते है

तन्हाई में कशमकश अब भी जरूरी सी क्यों लगे हमें


तेरे साथ कई साल पल में बीत गए पर

अब पल पल गुजारने में कई साल क्यों लगे हमें

चलो अब भूलने के लिए वक़्त भी है जिंदगी भी काफी

फिर भी उसे भुलाना मजबूरी क्यों लगे हमें



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