भर दो रंग इसके भी सपनो में..
भर दो रंग इसके भी सपनो में..
जीवन बना रंगोसे मानव का सतरंगी रंगीला
हरा, निला या पिला ,गुलाबी ,सफेद या
काला निरस ..अंधियारे सा..
पूँछो ना रंग कौनसा
गुलाबी नारी के फिर सपनों का ?
भरती, बिखेरती रंग प्यार के जीवम में सबके
बस बेरंग फिर रेह जाऐ इसके रंग सपनों के
न्योंछावर करती प्यार प्रिया बन
गुलाबी जीवन कर देती
हो ममता का आँचल पवित्र
समृध्दी हरियाली सी है ले आती.
संस्कारों के है रंग भरती
तन मन सोने सा है करती
बन के जब आए बेटी प्यारीसी
चैतन्य रंग आता जीवन में
भोर होती मानों केसरी
अंधीयारे से इस जीवन में
बन के बेहन ऐ लाती
प्यार का रंग अलग जीवन में
हर रिश्ता जुडा इससे
नए नए है रंग पाता
बस याद न रखता कोई कैसे
इसे कौनसा है रंग भाता…
भरदो रंग इस के भी जीवन में
मुस्कुरा देगीं सृष्टी सारी
हो परझड या सावन में ...