माँ इक कहानी अनकही..
माँ इक कहानी अनकही..
माँ ,मदर,आई,अम्मी,बेबे या माई
हर नाम से जुडी कोख
और ममता जिसमें हैं समाई
है रिश्ता जिससे पहले जनम के
या कह लो पहले जनम का
दर्द से पाई खुशी जिसने
यही नाम हैं इस रिश्ते का
माँ ..ममता
कहते माँ ने वीर बनाऐ
राम को भी श्रीराम बनाया
कौसल्या पुत्र राम कहलाया
कांन्हा भी देवकी नंदन
यशोदा का लाल कहलाया
माँ ही बहती जीवन रेखा
वजुद बगैर माँ के नहीं किसी का
रगरग पें तुम्हारे है हक बस उसी का
फिर माँ का जिक्र नहीं
ना पहचान तुम्हारी माँ से है
सहती पीड़ा जनम पे तुम्हारे
ऐहसास कहाँ उस दर्द का हैं
समर्पित जीवन उसका बस
औलाद के नाम पर है..
हँसी खुशी ,गम हर ऐहसास
तुमसे शुरु तुम तक है
खो बैंठी अस्तित्व जो अपना
बस अस्तित्व उसका ममता तक है
है कहानी उसी की जीवन ये मेरा
बस अनकही है ओ माँ ..