Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

saru pawar

Tragedy

4  

saru pawar

Tragedy

हाँ में मेहलों की राजकुमारी !!

हाँ में मेहलों की राजकुमारी !!

1 min
6


हाँ मैं मेहलों की हूँ राजकुमारी 

दिवारें है जिसकी ऊँची

फर्श भी है संगेमरमर की

हाँ मैं ऐसे मेहलों की हूँ राजकुमारी


माँ -बाबा की दुलारी हूँ में

मढी हुँई जेवरों से भी में

सोने ,चांदी ,हिरों से भी

पोशाक मेरे तरह तरह के

परियों सें है सुंदर कितने


बस कैद मेरी मुझे मंजूर नहीं

गुडियाँ सजी सजाई हुँ में

सजावट की चीज से कुछ जादा नहीं मैं

पँख कतरी चिडीयाँ जैसे सोने के पिंजरे की


उडना नहीं, चेहकना नहीं 

खुल के तू हँसना नहीं

शान रखने लिऐ महलों की 

दहलीज ये लांगना नही

  

जाना मुझे डोली में है

कहते पराया धन है मुझे

इस पिंजरे से निकल

बस फिर उस पिंजरे में जाना है

 राजकुमारी महलों की थी

अब महारानी कह लाऊगीं


इस पिंजडे से ऊँड के मैं अब 

दूसरी जंजीरों में जकडी जाऊंगी।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy