मोहब्बत में किऐ वादे
मोहब्बत में किऐ वादे
मोहब्बत में किऐ वादे
यकीं देते है वफा का
जब टुकडा टुकडा होके
बिखरता है दिल
बेवफाई में
तो टूटा हर वादा
सच कर जाता है
इल्जाम जमानें का..
वादों पे मोहब्बत में
यकीं न करना
वफा है धूँदली
बेवफाई गहरी है..
मोहब्बत में मंजिल
कमने ही पाई है..
यहीं तो जमाने की
कडवी सच्चाई है …
कडवी सच्चाई है…