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Dheeraj kumar shukla darsh

Romance Tragedy

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Dheeraj kumar shukla darsh

Romance Tragedy

उम्मीद आखिरी

उम्मीद आखिरी

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दूर रहने लगा हूँ सबसे

चुभने लगा हूँ जबसे

जब तुम आयी जिंदगी में

लगा एक बार फिर से

खिलेगा फूल कोई प्यार का

इस उजड़े गुलशन में

प्यार की बूंदें धीरे धीरे

गिरने लगी फिर से

खिलने लगा था फूल कोई

इस उजड़े गुलशन में

महकने लगा था गुलशन

प्यार की महक से

फिर हुआ एक दिन ऐसा

नजर लग गयी फिर से

मुरझाने लगा वो फूल

जो खिला था गुलशन में

तुमनें भी आखिर मुझसे

दूर कर ली 

अपने प्यार की बूंदें

जिस फूल के सहारे

जीने लगा था फिर से

बिखर गया वो फूल भी

तूफां में बिखरता है जैसे

और उम्मीद आखिरी खुशियों की

मिली थी तुमसे

टूट गई वो आखिर में

उजड़ गया गुलशन फिर से.


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