सूखा पेड़
सूखा पेड़
गांव की पगडंडी पर
खड़ा एक सूखा पेड़
अनगिनत कहानियों की
एक झलक दिखा रहा है।
कभी वो भी था
हरा भरा और खुशहाल
आज विरानी के मंज़र की
एक तस्वीर दिखा रहा है।
सामने से गुज़र गए
छोड़कर गांव घर अपना
चिड़िया नहीं चहकती जहां
वो सूना आंगन दिखा रहा है।
अनगिनत घोंसले
शाखो पर हुआ करते थे
उन परिंदों को रोक सके न जो
उन आंखों की बेबसी दिखा रहा है।
बहारों के आने की उम्मीद
आज भी बसी हुई है दिल में
शायद लौट आए फिर हरियाली
एक उम्मीद भरा इंतजार दिखा रहा है।
लौट आएंगे फिर से परिंदे
फिर से आंगन चहक उठेगा
यही आस लिए यादों की बूंद में
वो खुद को पल-पल भिगो रहा है।