Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Nand Lal Mani Tripathi

Tragedy

4  

Nand Lal Mani Tripathi

Tragedy

सामजिक बीमारी

सामजिक बीमारी

1 min
228



भ्रष्टचार बीमारी महामारी

समाज को खोखला करता

भ्रष्टाचार भ्रष्टाचारी।।


नैतिकता की सौगंध मर्यादा

पाखंड भय भ्रष्टाचार आचरण

आवरण भ्रष्टाचारी।।


कहां नही है भ्रष्टाचार कलयुगी कर्ण

ईमानदार करता कृष्ण से पुकार।।                  


कोई तो ठौर बताओ

ना हो भ्र्ष्टाचार भ्रष्टाचारी

हे मधुसूदन गिरधारी।।


कहा कृष्ण ने सुन कलयुगी

कर्ण द्वापर में था सिर्फ एक

दुर्योधन भ्रष्टाचारी।।


कलयुग के पल पल में भय

भ्रष्टाचार ।।


नही छूटता कोई जिसके दामन पे

ना हो भ्रष्टाचार का दाग।।


जन जन के अनेक विचार

कहता कोई भ्रष्टाचार ऊपर

से नीचेआता।।।                 


कहता कोई नीचे से जाता ऊपर

दोनों ही गलत विचार ।।


ना नीचे से ऊपर ,

ना ऊपर से नीचे

दाल में नमक समान नही

पूरी काली दाल।।


बचा नही मोहकमा कोई

राजनीति हो या सरकार।।


कसमे खाते हर चुनावी

साल नही रहेगा भ्रष्टाचार।।


जाने कीतनी सरकारें

आयी और चली गयी

नही गया तो भ्रष्टाचार ।।


अब तो जन जन की 

आवाज कहां है भ्रष्टाचार

भ्रष्टाचार जिसे तुम कहते 

है वर्तमान समाज का

संस्कृति संस्कार।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy